अलसी के छोटे दानों के फायदे हजार

अलसी के छोटे दानों के फायदे हजार

अलसी दुनिया के सबसे पुराने सुपरफूड्स में एक है। इसे कौन सी चीज ‘सुपरफूड’ बनाती है? इसमें एंटीऑक्सीडेंट्स के साथ ओमेगा 3 फैटी एसिड होता है। बाकी फायदों के अलावा यह आपके हारमोनों को भी संतुलन में रखने में मदद करता है।

क्या है अलसी?

यह छोटे-छोटे, भूरे या सुनहरे रंग के चिकने बीज होते हैं जिन्‍हें अंग्रेजी में फ्लैक्‍ससीड के नाम से जाना जाता है। देश के कई भागों में इन्‍हें तीसी भी कहा जाता है। ये बीज आहार से मिलने वाले फाइबर या रेशे, मैगनीज, थियामिन और मैगनीशियम जैसे खनिजों और पौधों से मिलने वाले प्रोटीन का बहुत बढ़िया स्रोत हैं। दिल्‍ली के नेहरू प्‍लेस स्थित फोर्टिस सी डॉक अस्‍पताल की वरिष्‍ठ चिकित्‍सक डॉक्‍टर कोयल दत्‍ता बताती हैं कि इसे आप संपूर्ण/बिना पिसे हुए बीजों के रूप में भी खा सकते हैं मगर बिना पीसे खाने में परेशानी ये है कि कई बिना ये शरीर से बिना पचे ही निकल जाते हैं इसलिए पीस कर पाउडर के रूप में खाने पर यह बेहद लाभदायक है। पिसी हुई अलसी इसके दोनों प्रकार के फाइबर को पचाने में मदद करता है। यह आपका पाचन बेहतर करता है, साफ और सुंदर त्वचा देता है, कोलेस्ट्रॉल और मीठी चीजों की क्रेविंग दूर करता है और यहां तक कि कैंसर से लड़ने में भी मदद करता है। आगे देखते हैं, इसके फायदों की फेहरिस्त में क्या-क्या है।

फाइबर अधिक, कार्बोहाइट्रेड कम

डॉक्‍टर दत्‍ता कहती हैं कि अलसी को तेल के रूप में खाने से बेहतर है चूर्ण बनाकर खाना क्‍योंकि तेल बनाने की प्रक्रिया में इसका फायबर नष्‍ट हो जाता है। उनका कहना है कि इसका चिकित्‍सीय लाभ यह है कि टाइप 2 मधुमेह के रोगियों में भी यह तीन महीने तक लगातार इस्‍तेमाल करने पर शरीर में शुगर का स्‍तर कम कर सकता है। हालांकि ऐसे मरीजों में यह फास्‍ट‍िंग ब्‍लड शुगर, इंसुलीन लेवल या ब्‍लड फैट की मात्रा को कम नहीं कर सकता। लेकिन शरीर में ट्राइग्लिसराइड के लेवल को नियंत्रित करने और हाई कोलेस्‍ट्रोल को नियंत्रित करने में इसकी प्रभावी भूमिका होती है।

अलसी का एक असाधारण लाभ यह है कि इसमें जल में घुलनशील रेशे का उच्च स्तर होता है। इसमें पाया जाने वाला म्युसिलेज भोजन को तुरंत छोटी आंत में जाने से रोक देता है जिससे शरीर अधिक पौष्टिक तत्व ग्रहण कर सकता है और आपको पेट भरा-भरा लगता है। इसलिए दो वक्‍त के भोजन के बीच इसका सेवन करने से देर तक भूख नहीं लगती है। इसमें कार्बोहाइट्रेड का निम्न स्तर मगर घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के रेशों का उच्च स्तर होता है। इसका मतलब है कि यह शरीर को डिटॉक्सीफाई कर सकता है, मोटापे को कम करने में मददगार हो सकता है और मीठी चीजों को खाने की क्रेविंग को कम कर सकता है। रोज सिर्फ दो चम्मच अलसी खाने से आपके शरीर में रेशे की 20 से 25 फीसदी जरूरत पूरी हो जाती है।

ओमेगा 3 फैटी एसिड

अलसी में अल्फा-लिनोलेनिस एसिड (एएलए) नामक ओमेगा 3 का प्रकार होता है जो हृदय रोग के खतरे को कम करता है।

दमकती त्वचा और चमकते बाल

अलसी बालों को चमकीला और मजबूत बनाता है। इसमें मौजूद एएलए फैट त्वचा और बालों के लिए बहुत लाभदायक होता है, साथ ही इसमें मौजूद बी विटामिन शुष्कता को कम करता है। यह एक्ने और एक्जीमा के लक्षणों में भी मददगार होता है। यह अपने लुब्रिकेटिंग असर के कारण आंखों की शुष्कता को भी कम करता है। असली का तेल भी आपकी त्वचा, नाखून, बालों और आंखों के लिए बढ़िया विकल्प है।

कोलेस्ट्रॉल को कम करे

अलसी को अपने आहार में शामिल करते हुए आप शरीर में कुदरती तौर पर कोलेस्ट्रॉल का स्तर घटा सकते हैं। अलसी में मौजूद घुलनशील रेशे फैट और कोलेस्ट्रॉल को पाचन तंत्र में ट्रैप कर लेते हैं जिससे शरीर द्वारा उसका अवशोषण नहीं हो पाता।

ग्लुटेन फ्री

अलसी, ग्लुटेन युक्त अनाज का बढ़िया विकल्प है। इसलिए ग्लुटेन के प्रति संवेदनशील लोगों के लिए यह अच्छी चीज है।

एंटीऑक्सीडेंट्स का उच्च स्तर

अलसी में एंटीऑक्सीडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं। इसलिए इसमें एंटी-एजिंग, हारमोन को संतुलित करने वाले और कोशिकाओं के पुनर्जनन में मददगार तत्व होते हैं।

वजन कम करने में लाभदायक

चूंकि अलसी हेल्दी फैट और रेशे से भरपूर होता है, इससे आपको लंबे समय तक पेट भरे होने का एहसास होता है। इसके कारण आप कुल मिलाकर कम कैलोरी लेते हैं जिससे वजन कम करने में मदद मिल सकती है। इसमें मौजूद एएलए फैट शरीर में पानी का जमाव भी कम करते हैं और वजन कम करने में आड़े आने वाले हारमोनों को संतुलित रखते हैं। वजन कम करने के लिए रोज अपने सलाद या भोजन पर एक-दो चम्मच पिसी हुआ अलसी छिड़कें।

कैंसर को रखे दूर

कई अध्ययनों से साबित हुआ है कि अलसी स्तन, प्रोस्टेट, ओवरी और कोलोन कैंसर से बचाव में मददगार हो सकती है।

पाचन को बेहतर बनाए

पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में अलसी की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। यह कब्ज का बेहतरीन कुदरती उपाय है। आप नियमित रूप से साबुत या पिसे हुए रूप में अलसी का सेवन करके पाचन तंत्र की मुश्किलों को दूर रख सकते हैं। इसमें मौजूद मैगनीशियम भी पाचन में मदद करता है।

मेनोपॉज और हारमोन असंतुलन में मददगार

एस्ट्रोजन को संतुलित रखने की अलसी की क्षमता के कारण यह ऑस्टियोपोरोसिस के खतरे को भी कम करता है। यह महिलाओं के मासिक चक्र को नियमित करता है और मेनोपॉज के लक्षणों से जूझ रही महिलाओं के लिए लाभदायक होता है।

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